तेजी से फैलाया जा रहा 'आरटीओ चालान एप' एक का लिंक, एपीके फाइल डाउनलोड करते ही मोबाइल फोन हो जाता है हैक
हैकर्स को मिल जाता है पूरी डिवाइस का एक्सेस, कैसे भी कर सकते हैं मिसयूज
बदायूं। साइबर ठगों ने लोगों की गाढ़ी कमाई ठगने के सैकड़ों तरीके इजाद कर रखे हैं। हालांकि पुलिस और साइबर एक्सपर्टस द्वारा समय-समय पर इनसे बचने के तरीके बताये जाते हैं, लेकिन फिर भी रोजाना हजारों लोग इन ठगों का शिकार हो रहे हैं। इन दिनों ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले साइबर अपराधी एक नए तरीके से लोगों को निशाना बना रहे हैं। सोशल मीडिया के नाम से आरटीओ चालान नाम का एक एप और लिंक व्हाट्सएप द्वारा तेजी से फैलाया जा रहा है, जिसे डाउनलोड या क्लिक करने के बाद लोगों का मोबाइल हैक हो जाता है।
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फ्रॉड एप को इंस्टॉल करते ही मोबाइल हो जाता है हैक
बदायूं। साइबर सिक्योरिटी इन्वेस्टीगेटर (सीएसआई) एजे खान के अनुसार, इस फ्रॉड एप को इंस्टॉल करते ही यूज़र का फोन अचानक ब्लैक स्क्रीन पर चला जाता है। इसके बाद बैकग्राउंड में हैकर्स को पूरे डिवाइस पर एक्सेस मिल जाता है और इसके बाद यूजर के बैंक अकाउंट और यूपीआई वॉलेट मिनटों में खाली कर दिए जाते हैं।
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कैसे काम करता है यह फ्रॉड
- यूज़र को मैसेज या सोशल मीडिया पर लिंक भेजा जाता है
- लिंक खोलते ही उसमें आरटीओ चालान देखने के नाम पर एक एप डाउनलोड करने को कहा जाता है।
- एप इंस्टॉल होते ही सिस्टम क्रैश जैसा लगता है, लेकिन असल में मोबाइल का डेटा अपराधियों के पास पहुंच जाता है।
- बैंकिंग ऐप्स, ओटीपी और पासवर्ड आसानी से चोरी हो जाते हैं।
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साइबर एक्सपर्ट की चेतावनी
बदायूं। साइबर सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेटर एजे खान ने साफ कहा है कि एआरटीओ या किसी भी सरकारी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के बाहर से कोई एप डाउनलोड न करें। असली ई-चालान केवल परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या सरकारी मोबाइल एप्स पर ही चेक किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह नया आरटीओ चालान एप फ्रॉड सिर्फ टेक्निकल ठगी नहीं बल्कि लोगों की मेहनत की कमाई पर सीधा हमला है। जागरूकता और सावधानी ही इससे बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।
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बरतें ये सावधानियां
- किसी भी अनजाने लिंक से फाइल या एप डाउनलोड न करें।
- आधिकारिक वेबसाइट या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एप ही इस्तेमाल करें।
- बैंकिंग एप्स पर अतिरिक्त सुरक्षा जैसे बायोमेट्रिक या डुअल वेरिफिकेशन लगाएं।
- साइबर अपराध का शिकार होने पर तुरंत 1930 हेल्पलाइन या साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत करें।