प्यार को मिली मंजिलः सवा साल बाद एक हुए फिरदौस जहां और मुकेश

प्यार को मिली मंजिलः सवा साल बाद एक हुए फिरदौस जहां और मुकेश

अलग धर्म होने के कारण परिवार वालों का था विरोध, भागकर कर ली थी शादी

शादी के बाद फिरदौस ने अपना नाम रख लिया था नीता, 

सवा साल से लखनऊ के बालगृह (बालिका) में बंद थी फिरदौस

रिहाई के बाद जताई मुकेश के साथ रहने की इच्छा

सम्भल। प्यार में जात और धर्म मायने नहीं रखते, तमाम प्रेमी इस बात को साबित करते आए हैं। सम्भल की फिरदौस जहां और मुकेश में भी जब प्यार परवान चढ़ा तो उन्होंने भी धर्म की दीवारें लांघ दी और भागकर शादी कर ली। शादी के बाद फिरदौस जहां ने अपना नाम नीता रख लिया लेकिन परिजनों द्वारा उसे नाबालिग बताए जाने के बाद ससुराल के बजाय लखनऊ का बालगृह (बालिका) उसका नया ठिकाना बन गया। बुधवार को बालिग हो जाने पर उसे वहां से छोड़ा गया तो उसने मुकेश के साथ ही रहने की इच्छा जताई, जिस पर लखनऊ से सम्भल की बाल कल्याण समिति को दिशा निर्देश दिए गए हैं। 

सम्भल के सौंधन मोहम्मदपुर गांव निवासी मुकेश की आंख गांव की ही रहने वाली फिरदौस जहां से चार हुई तो दोनों तरफ प्यार की शमां रोशन हो गई। परिवार वालों के विरोध के चलते 22 जनवरी-23 को दोनों ने अपने घर छोड़ दिए और हरिद्वार जाकर शादी रचा ली। इसके बाद फिरदौस जहां ने अपना नाम नीता रख लिया। इधर फिरदौस के पिता ने लड़की भगा ले जाने के मामले में चार लोगों पर मुकदमा लिखा दिया। 

बढ़ते दबाव के कारण कुछ समय बाद पुलिस ने प्रेमी युगल को बरामद कर लिया गया। परिजनों के बयानों के आधार पर फिरदौस को लखनऊ में बाल गृह (बालिका) में भेज दिया गया था। अब विगत दो मार्च को उसके बालिग हो जाने पर फिरदौस ने अधिकारियों के समक्ष मुकेश के साथ ही रहने की इच्छा जताई, जिसके बाद लखनऊ से सम्भल की बाल कल्याण समिति को निर्देशित किया गया है कि युवती की इच्छानुसार उसे संबंधित व्यक्ति के सुपुर्द करते हुए कार्यवाही से अवगत कराया जाए। 

प्रतीकात्मक फोटो-

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  • user by Sunil kumar

    Bdn ke neta harami hain

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  • user by अनिकेत साहू

    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

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  • user by संजीव कुमार

    भाजपा में ऐसे ही भरे हैं।

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