बदायूं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समाजवादी पार्टी विधानसभा वार सम्मेलन कर रही है। रविवार को पार्टी का सम्मेलन इस्लामियां इंटर काॅलेज के सामने था लेकिन यहां नेता ज्यादा और जनता कम नजर आई। यहां बमुश्किल 600-700 लोग ही जुट पाए। लोगों का तो यहां तक कहना है कि सम्मेलन तो बदायूं विधानसभा का था लेकिन भीड़ जुटाने के लिए शेखूपुर विधानसभा से भी लोग बुला लिए गए।
सपा प्रत्याशी शिवपाल सिंह यादव के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी इस समय पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव संभाल रहे है। 30 मार्च को जहां बिसौली में सम्मेलन था वहीं 31 को बदायूं विधानसभा क्षेत्र का सम्मेलन रखा गया। बताते हैं कि यहां सम्मेलन में ज्यादा भीड़ नहीं जुट पाई जो कभी पहले सपा के कार्यक्रमों में जुटती थी। लोगों का कहना है कि क्षेत्र की जनता शिवपाल सिंह यादव को प्रत्याशी के रूप में पचा नहीं पा रही है। और तो और कार्यकर्ता भी उनसे जुड़ाव महसूस नहीं कर पा रहे हैं।
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हंगामाः 'ए जिलाध्यक्ष ये ले ......' और माइक फेंककर निकल आईं जिलाध्यक्ष
बदायूं। सपा के कार्यकर्ता सम्मेलन में रविवार को हंगामा हो गया। सम्मान न मिलने का आरोप लगाते हुए सपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष अलका यादव कार्यक्रम से निकल आईं और सहसवान लौट गईं। बताते हैं कि कार्यक्रम में मंच पर जब वह आईं तो किसी बात पर वह नाराज हो गईं। चर्चा है कि इसके बाद उन्होंने जिलाध्यक्ष आशीष यादव को संबोधित करते हुए यहां तक कह डाला कि 'ए जिलाध्यक्ष, ये ले माइक' और इतना कहकर माइक फेंककर बाहर निकल आईं। पत्रकार जब तक उनके पीछे जाते तब तक पुलिस ने उन्हें घेरे में लेकर गाड़ी मे बैठा दिया। इसके बाद वह लौट गईं। बाद में उन्होंने फोन पर बातचीत में कहा कि बात सम्मान की हो तो समझौता नहीं कर सकतीं। सम्मान सर्वोपरि है। जहां कायकर्ता का सम्मान नहीं होता, वहां रुका नहीं जा सकता।
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पार्टी से नहीं जुड़ पा रहा मुसलमान, आबिद का न आना भी चर्चा में
बदायूं। कभी एमवाई यादव मुस्लिम फैक्टर के लिए पहचानी जाने वाली सपा में अब मुस्लिम फैक्टर गायब हो गया है। पिछले दिनों मुस्लिमों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय महासचिव सलीम शेरवानी व राष्ट्रीय सचिव आबिद रजा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद आबिद रजा लगातार लोगों से न केवल संवाद कर रहे हैं बल्कि मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाकर लगातार बयानबाजी भी कर रहे हैं। पिछले दिनों शिवपाल सिंह यादव उनके आवास पर मिलने भी गए थे लेकिन उसके बाद भी सम्मेलन में आबिद का न आना चर्चा का विषय रहा। माना जा रहा है कि आबिद भी कुछ दिनों में अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए चुनाव मैदान में ताल ठोक सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो सपा के सामने मुसलमानों को साधने में और ज्यादा मुश्किल हो जाएगी।