कुकर्म का खुलासा न हो जाए इसलिए कराई गई थी पत्रकार राघवेंद्र की हत्या

कुकर्म का खुलासा न हो जाए इसलिए कराई गई थी पत्रकार राघवेंद्र की हत्या

पुलिस ने हत्यारोपित कथित पुजारी तथा दो को किया गिरफ्तार

सीतापुर। दैनिक जागरण समाचार पत्र के महोली निवासी पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या क्यों की गई, इसका खुलासा पुलिस ने कर दिया है। पुलिस के अनुसार, मंदिर के एक कथित पुजारी ने अपने कुकर्म का खुलासा न होने देने के लिए शूटरों से पत्रकार की हत्या करा दी। इसके लिए उसने चार लाख की सुपारी शूटरों को दी थी। 

पत्रकार राघवेंद्र की आठ मार्च को दिनदहाड़े लखनऊ-बरेली हाईवे पर हेमपुर ओवरब्रिज पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद पुलिस हत्यारों की तलाश में लग गई थी। कई बिंदुओं को ध्यान में रखकर पुलिस जांच कर रही थी। तमाम लोगों से पूछताद भी की गई। तमाम जांचों के बाद पुलिस ने महोली इलाके के एक मंदिर के कथित पुजारी विकास राठौर उर्फ शिवानंद को हिरासत में लिया और

                      ------ दिवंगत पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी------

पूछताछ की। पूछताछ में पुजारी ने सच्चाई पुलिस के सामने उगल दी। एक कुकर्म की घटना का राज उजागर होने की आशंका के चलते चार लाख रुपये की सुपारी देकर पुजारी ने पत्रकार की हत्या कराई थी। 

पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता व सुपारी लेने वाले दो लोगों इमलिया सुलतानपुर के रामपुर नयागांव के निर्मल सिंह व हरिकिशनपुर के असलम गाजी को भी गिरफ्तार कर लिया है। जबकि, वारदात करने वाले दो शूटर अभी नहीं पकड़े जा सके हैं। चर्चा है कि इस हत्याकांड में एक सफेदपोश भी शामिल है। 

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ये थी पूरी वजह

सीतापुर। पूछताछ में पुजारी ने बताया कि राघवेंद्र अक्सर मंदिर में जाते थे, जिससे पुजारी से भी उनकी पहचान थी। एक दिन राघवेंद्र ने पुजारी को मंदिर में ही सेवा करने वाले एक बालक के साथ कुकर्म करते देख लिया था। राघवेंद्र ने इसे समाज के सामने उजागर करने की बात की तो पुजारी ने अपने करीबी निर्मल सिंह को बताया। निर्मल ने असलम गाजी की मदद से दो शूटरों को राघवेंद्र की हत्या की सुपारी दे दी, जिसके बाद राघवेंद्र की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। 

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...तो क्या राघवेंद्र ने मांगे थे बीस लाख रुपये

सीतापुर। पुलिस के अनुसार, आरोपित पुजारी विकास ठाकुर ने बताया है कि जब उसके द्वारा बालक से कुकर्म करने की घटना को पत्रकार राघवेंद्र ने देखा तो उन्होंने पुजारी को इसे अखबार में प्रकाशित करने को कहा। उसने मना किया तो पत्रकार ने उससे 20 लाख रुपये की डिमांड की। इसके बाद वह लगातार उस पर रुपये देने का दबाव बना रहे थे। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो नहीं पता, लेकिन पत्रकार की पत्नी इसे भी पुलिस की कहानी बता रही हैं। 


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  • user by Sunil kumar

    Bdn ke neta harami hain

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  • user by अनिकेत साहू

    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

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  • user by संजीव कुमार

    भाजपा में ऐसे ही भरे हैं।

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