‘उद्गार शतक’ काव्य संग्रह का लोकार्पण, कई साहित्यकार, कवि व विचारक रहे मौजूद

‘उद्गार शतक’ काव्य संग्रह का लोकार्पण, कई साहित्यकार, कवि व विचारक रहे मौजूद

पं.छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ बोले-“यह सिर्फ साझा काव्य नहीं, बल्कि एक साहित्यिक आंदोलन का साक्ष्य"

वाराणसी। स्याही प्रकाशन एवं उद्गार संगठन के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को ‘उद्गार शतक-साझा हिंदी काव्य संग्रह’ का लोकार्पण समारोह भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। 

आयोजन स्याही प्रकाशन परिसर स्थित उद्गार सभागार में दो सत्रों में हुआ, जिसमें देशभर के साहित्यकारों, कवियों एवं विचारकों की उपस्थिति रही। संग्रह का संपादन सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं प्रकाशक पं. छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ द्वारा किया गया है। यह संग्रह सौ से अधिक कवियों की रचनाओं को समेटे हुए हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में सामने आया है।


इस मौके पर संग्रह के संपादक और उद्गार के संस्थापक पं. छतिश द्विवेदी ने कहा कि ‘उद्गार शतक’ केवल कविताओं का संकलन नहीं, बल्कि हिन्दी कविता की प्रवाहमान चेतना का जीवंत दस्तावेज है। यह पुस्तक दस वर्षों की हमारी सामूहिक सृजन-यात्रा और सौ से अधिक संगोष्ठियों की साहित्यिक ऊर्जा का समर्पण है। हम कविता को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व मानते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति चन्द्रभाल सुकुमार ने कहा कि यह संग्रह नयी पीढ़ी के रचनाकारों के लिए एक प्रेरक धरोहर है। कविता के माध्यम से सामाजिक संवाद की यह परंपरा सशक्त रूप से आगे बढ़े, यही कामना है।


मुख्य अतिथि दीनानाथ द्विवेदी ‘रंग’ ने कहा कि ‘उद्गार शतक’ आज के साहित्यिक वातावरण में एक अनूठा प्रयोग है, जिसमें अनुभवी और नवोदित रचनाकारों का समावेश उल्लेखनीय है।

विशिष्ट अतिथियों में डॉ. ज्योति भूषण मिश्रा (निदेशक, श्रीराम महाविद्यालय), दिनेश सिंह (कार्यक्रम अधिकारी, आकाशवाणी वाराणसी), भरत भूषण तिवारी (सूचना अधिकारी, पीआईबी) ने भी पुस्तक की विविधतापूर्ण रचनाओं की सराहना करते हुए कहा कि यह संकलन समकालीन साहित्य को नई दृष्टि प्रदान करेगा।

मुख्य वक्ता डॉ. डीआर विश्वकर्मा (पूर्व जिला विकास अधिकारी) ने कहा कि ‘उद्गार शतक’ में न केवल कविता है, बल्कि समाज का यथार्थ, चेतना और परिवर्तन की आकांक्षा भी मुखर है।

------

द्वितीय सत्र में कवियों ने पेश की रचनाएं

वाराणसी। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में देशभर से आए कवियों की स्वर-प्रतिध्वनियों से सभागार गूंज उठा। कवि गोष्ठी में प्रेम, पीड़ा, प्रकृति, राष्ट्र और जीवन-दर्शन से जुड़ी भावपूर्ण कविताओं की प्रस्तुति हुई। सत्रों का संचालन डॉ. लियाकत अली ‘जलज’ एवं श्री सुनील कुमार सेठ ने किया। स्वागत भाषण बुद्धदेव तिवारी द्वारा तथा कार्यक्रम का समापन हर्षवर्धन ममगाई के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। आयोजन में जीएल पटेल अंचला पाण्डेय के साथ प्रवर समिति के सदस्यों का सहयोग सराहनीय रहा।


Leave a Reply

Cancel Reply

Your email address will not be published.

Follow US

VOTE FOR CHAMPION

Top Categories

Recent Comment

  • user by Sunil kumar

    Bdn ke neta harami hain

    quoto
  • user by अनिकेत साहू

    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

    quoto
  • user by संजीव कुमार

    भाजपा में ऐसे ही भरे हैं।

    quoto