ये 'चूना' अच्छा है...पर केवल सड़कों पर डालने के लिए...जनता को 'लगाने' के लिए नहीं

ये 'चूना' अच्छा है...पर केवल सड़कों पर डालने के लिए...जनता को 'लगाने' के लिए नहीं

बदायूं। अहमियत चीज की नहीं, बल्कि उस जगह की होती है जहां वह होती है या फिर रखी या कही जाती है। चूने की भी यही कहानी है। सड़क और मंदिर जाने वाली सड़क पर पड़ा हो तो पता चलता है कि फलां जगह कोई आयोजन है, लेकिन जब यही 'चूना' जनता को लगाया जाता है तो चूने की परिभाषा ही बदल जाती है। अपनी नगर पालिका का भी हाल कुछ ऐसा ही हो रहा है। 

सोमवार को शहर में भव्य रामबरात निकाली गई। इसके स्वागत के लिए नगर पालिका ने शहर की उन सड़कों पर चूना डलवाया, जिनसे होकर बरात निकाली गई। केवल इतना ही नहीं इन सड़कों पर मैट भी बिछाया गया। इसकी शुरुआत पिछले साल पूर्व मंत्री व पालिकाध्यक्ष फात्मा रजा के पति आबिद रजा ने की थी। चूंकि फात्मा रजा की जीत में उन हिंदू वोटों की संख्या भी अच्छी खासी थी जो पूर्व पालिकाध्यक्ष दीपमाला गोयल को कुर्सी पर दोबारा नहीं देखना चाहते थे। ऐसे में अपनी सेक्युलर छवि को और मजबूत बनाने के लिए पूर्व मंत्री ने इस काम की शुरुआत करा दी।

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मैट तो बिछा दी, पर सड़कों से ध्यान हटा

बदायूं। लोगों का कहना है कि नगर पालिका की राम बरात वाले मार्गों पर मैट बिछाना और चूना डलवाना अच्छा काम है लेकिन शहर की सड़कों के हाल भूल जाना सही नहीं है। पालिका को पहले शहर की सड़कों पर ध्यान देना चाहिए जो बद

से बदतर हालत में आ गई है। यह भी उस स्थिति में, जब पालिकाध्यक्ष के कार्यकाल को करीब डेढ़ वर्ष हो चुका है। पिछले साल कई बार उनकी तरफ से शहर की सड़कों की दशा सुधारने के दावे और वायदे किए जा चुके हैं लेकिन शहर की सड़कें और बदतर होती जा रही हैं। 

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इन सड़कों पर तो पैदल चलना दूभर 

- टिकटगंज से पुरानी चुंगी और पथिक चौक

- जफा की कोठी से नई सराय 

- जवाहरपुरी से बरेली रोड

- शहवाजपुर चौराहा

- गद्दी चौक से इंदिरा चौक

- पनबड़िया से सुभाष चौक 

- शहवाजपुर चौराहे से पटियाली सराय होते हुए आर्य समाज

- कचहरी रोड से शिवपुरम जाने वाला मार्ग

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जनता कह रही, पालिका लगा रही 'चूना'

बदायूं। शहर की सड़कों की खस्ता हालत से परेशान तमाम लोग रामबरात वाले मार्ग पर पाालिका द्वारा डलवाए गए चूने को देखकर सोमवार को चुटकी लेने से नहीं चूके कि पालिका शहर की सड़कों पर नहीं बल्कि जनता को 'चूना' लगाने पर आ गई है। तमाम लोगों ने यह भी कहा कि इससे पहले तो 'पहले वालों' का कार्यकाल अच्छा था। 



 - कुछ प्रमुख अखबारों की खबरों में देखिए सड़कों का हाल-


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    Bdn ke neta harami hain

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    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

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