तो क्या भतीजों की तरफ है शिवपाल का इशारा ! ...लोग ले रहे 'चटखारा'

तो क्या भतीजों की तरफ है शिवपाल का इशारा ! ...लोग ले रहे 'चटखारा'

"कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं होती

रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती"

बदायूं। वैसे तो यह पक्तियां शकील बदायूंनी की हैं लेकिन इस समय इनकी चर्चा अपने एक्स एकाउंट पर सपा नेता शिवपाल सिंह यादव द्वारा लिखे जाने लेकर हैं। अब चूंकि मामला राजनीति का है तो इसके अलग-अलग मायने निकाले जाना लाजिमी है। वैसे सपा से जुड़े लोगों का कहना है कि चाचा शिवपाल ने यह पंक्तियां बदायूं की जनता को लेकर लिखी हैं जो इस समय उनकी बेरुखी का सामना कर रही है तो वहीं कुछ लोग इसे भतीजे धर्मेंद्र और अखिलेश के साथ भी जोड़कर राजनीतिक चर्चाओं के चटखारे ले रहे हैं। 

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के शिवपाल को बदायूं लोेकसभा सीट से टिकट देने के बाद से ही चर्चाओं का जो दौर शुरू हुआ वह अभी तक थमा नहीं है। पहले शिवपाल और धर्मेंद्र यादव के विरोधी और समर्थकों के बीच बयानबाजी, फिर शिवपाल और उनके बेटे के अभी तक बदायूं न आने और आज बृहस्पतिवार को शिवपाल के बदायूं आने तक के बीच तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। अपने आने से पूर्व शिवपाल सिंह द्वारा अपने एक्स हैंडल पर शकील बदायूंनी की यह पंक्तियां लिखने के भी अलग-अलग मतलब निकाले जा रहे हैं। 

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क्या लिखा शिवपाल ने अपने एक्स हैंडल पर 

- शिवपाल सिंह ने लिखा है कि मेरा इस क्षेत्र से दशकों पुराना आत्मीय रिश्ता है। मन में बदायूं से जुड़े ढेरों किस्से और यादें हैं। फिर उसके नीचे शकील बदायूंनी की ये लाइनें लिखी हैं कि- 

कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं होती

रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती

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लोग ले रहे चटखारे.....तो क्या भतीजों से नहीं होती बात

- शकील बदायूंनी की पक्तियों को लेकर लोग चटखारे लेने से भी नहीं चूक रहे। कुछ लोगों का कहना है कि क्या चाचा का इशारा अपने भतीजों की तरफ तो नहीं है कि खटास इतनी बढ़ गई है कि वह यह लिखने पर मजबूर हो गए कि " मिलते तो रोज हैं, मगर बात नहीं होती।" गौरतलब है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के परिवार के बीच खींचतान जगजाहिर है। इसी परिप्रेक्ष्य में लोग भी मजा लेने से नहीं चूक रहे।

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बदायूं पहुंचे शिवपाल, कछला में हुआ स्वागत

- शिवपाल यादव बृहस्पतिवार को दोपहर के वक्त कछला तक आ गए हैं। बदायूं में उनके कई कार्यक्रम हैं। उझानी में भी वह रुककर कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। इसके बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।


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  • user by Sunil kumar

    Bdn ke neta harami hain

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  • user by अनिकेत साहू

    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

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  • user by संजीव कुमार

    भाजपा में ऐसे ही भरे हैं।

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