चारपाई ही बन गई 'चिता'...आग लगी तो मासूमों ने ओढ़ ली रजाई, जिंदा जलकर मौत
कादरचौक के गांव जिंसी नगला में झोपड़ी में लगी आग, सिलिंडर भी फटा
आग में जिंदा जल गए ममेरे-फुफेरे भाई, एक पांच तो दूसरा था छह साल का
बदायूं। दो बच्चों की मासूमियत ही उनकी जान जाने का कारण बन गई। झोपड़ी में आग लगने के बाद दोनों मासूम यह सोचकर चारपाई के नीचे रजाई ओढ़कर लेट गए कि वे आग से बच जाएंगे, लेकिन वहीं पर दोनों जिंदा जल गए। एक भैंस की भी आग में जलकर मौत हो गई।
दिल को झकझोर देने वाला यह हादसा बृहस्पतिवार को कादरचौक क्षेत्र के गांव जिंसीनगला में हुआ। गांव में अलखराम का परिवार झोपड़ी में रहता है। बृहस्पतिवार दोपहर घर में खाना बन रहा था कि अचानक किसी तरह झोपड़ी में आग लग गई। देखते ही देखते आग छप्पर तक फैल गई। महिलाएं जैसे तैसे जान बचाकर बाहर निकल गईं लेकिन अलखराम का पांच वर्षीय पोता सुमित पुत्र जयपाल और छह साल का धेवता दीपक पुत्र भूपराम आग में फंस गए। आग में फंसता देख जब बच्चों को कुछ नहीं सूझा तो दोनों झोपड़ी में पड़ी चारपाई के नीचे घुस गए और रजाई ओढ़ ली। इसी बीच झोपड़ी में रखे सिलिंडर ने भी आग पकड़ ली और कुछ ही देर में सिलिंडर
फट गया। इस भीषण आग में दोनों बच्चे जिंदा ही जल गए। एक भैंस की भी आग में जलकर मौत हो गई।
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कुछ दिन पहले ही ननिहाल आया था दीपक
बदायूं। छह साल का दीपक बरेली के भमोरा थाना क्षेत्र के गांव चंपतपुर में रहता था। वह अलखराम की बेटी ममता का बेटा था। जिंसी नगला में उसकी ननिहाल है। वह कुछ दिन पहले ही ममता के साथ यहां आया था। बृहस्पतिवार को वह हादसे का शिकार हो गया। गांव वालों ने जैसे तैसे पानी डालकर आग बुझाई। फायर ब्रिगेड के पहुंचने तक आग पर काफी हद तक आग पर काबू पा लिया गया था।
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शव के नाम पर बची केवल राख
बदायूं। हादसे के बाद दोनो बच्चों के शव राख में बदल गए थे। शव के नाम पर केवल कंकाल और मांस के चंद लोथड़े ही नजर आ रहे थे। उनके शव देखकर ग्रामीण भी सिहर उठे।