बदायूं। भाजपा प्रत्याशी दुर्विजय सिंह शाक्य का रोड शो में भले ही सैकड़ों गाड़ियां और हजारों की भीड़ रही लेकिन यह अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई जो न केवल विपक्षी कह रह हैं बल्कि जनता भी पूछ रही है। सबसे ज्यादा तो जनता इस बात से परेशान हुई कि उसे तीन चार घंटे जाम के झाम से जूझना पड़ा।
भाजपा का रोड शो पूर्व निर्धारित था। पुलिस प्रशासन को भी पता था कि चूंकि रोड शो सत्ताधारी पार्टी का है तो भीड़ काफी होगी लेकिन फिर भी रोड डायवर्ट नहीं किया गया। लोगों का कहना है कि बदायूं से तो बरेली की तरफ लोग जाते रहे लेकिन उधर से आने वाले जाम में फंस गए। हालांकि बाद में स्थिति दोनों तरफ की जाम वाली हो गई, जिसमें हजारों लोगों को गर्मी में परेशानी उठानी पड़ी। ऐसे में रूट डायवर्ट करके उसकी सूचना सार्वजनिक की जानी चाहिए थी ताकि जनता परेशान नहीं हो।
--------
कुछ कार्यकर्ताओं की गाड़ियां तो कुछ राहगीरों की
बदायूं। रोड शो के बरेली से निकलने के बाद जो लोग बरेली से आ रहे थे वे भी जाम में फंसकर रोड शो का हिस्सा बन गए। ऐसे में गाड़ियों की जो भीड़ रोड शो में दिख रही थी, उनमें तमाम गाड़ियां राहगीरों की भी रहीं। इस बात पर विपक्षी चुटकी लेते दिखे कि भाजपा ने भीड़ जुटाने के लिए खुद ही जाम लगवाने और राहगीरों को जाम में फंसाने की रूपरेखा तैयार की थी ताकि भीड़ ज्यादा से ज्यादा दिखाई दे और लोगों को प्रत्याशी की ताकत और लोकप्रियता का अहसास हो सके।
-----------
भीड़ 'अपनों' की या 'परायों' की
बदायूं। दुर्विजय सिंह शाक्य का रोड शो बरेली से शुरू हुआ था, जिसमें भीड़ जुटाने के लिए बरेली समेत ब्रज क्षेत्र में आने वाले कई जिलों के पदाधिकारी और नेता शामिल थे। ऐसे में लोगों का कहना था कि रोड शो में भीड़ तो जुटी वह प्रत्याशी की तरह ही 'अपने' और 'पराये' का भ्रम पैदा करने वाली थी। जैसे भाजपा प्रत्याशी को तमाम लोग अपना यानी स्थानीय बता रहे हैं तो कई का कहना है कि वे बाहरी यानी 'पराये' हैं। ठीक इसी प्रकार उनके रोड शो की आधे से ज्यादा भीड़ उनके अपने वोटरों की नहीं बल्कि दूसरे जिले के सपोर्टरों की थी। लोग ये भी कहते देखे गए कि भाजपा का रोड शो किसी भी प्रकार सपा प्रत्याशी शिवपाल सिंह यादव से कमतर न लगे इसलिए ये भीड़ दिखाने का प्रयास किया गया।