बस यूं ही......
बदायूं। हे गौमाता, बस कहने भर को आप 'माता' है, वास्तव में तो आप लाचार हैं, अकेली हैं। आपको माता का दर्जा देने वाली संताने गायब हैं। न तो उनके पास वक्त है और न ही इच्छा कि माता को सड़कों पर विचरने को न छोड़ा जाए। सड़कों पर घूम रही आधे से ज्यादा माताएं वो हैं, जिनका दूध निकालकर सुबह को उन्हें सड़कों पर पाॅलिथीन और कूड़ा खाने को छोड़ दिया जाता है।
हे गौमाता..., इस कलियुग में 'बाबा' ने आपको को रखने के लिए गोशालाएं बनवाईं लेकिन सरकारी सिस्टम आपके लिए कुछ नहीं कर पा रहा। करे भी क्यों, आखिर अपनी 'छोटी सी' तनख्वाह में वो फोर व्हीलर, एसी, आईफोन जैसी केवल कुछ भौतिक सुविधाएं ही तो ले पा रहा है, नहीं तो घर का राशन और कभी-कभी महंगे होटल में खाने के लिए वह आपके चारे, भूसे और आप पर खर्च की जाने वाली धनराशि पर ही निर्भर है। इसमें कुछ घोटाला....(नहीं-नहीं घोटाला नहीं वो तो उसका अधिकार है ) करके ही तो वह अपने परिवार का पेट पालेगा। (...और पढें)
कुछ ऐसा ही हाल सांड़ महाराज, आपका भी है। कहने को तो कुछ भक्त आपको 'नंदी' का स्वरूप भी मानते हैं लेकिन आपका सांड़ वाला रौद्र रूप देखकर लोग रास्ते बदल लेते हैं। कलियुग में आकर आप अपना रौद्र रूप दिखा ही रहे हैं। आप सर्वव्यापी हैं जो हर सड़क, गली-मोहल्ले, खेत आदि हर जगह पर दिख जाते हैं। आप सर्वशक्तिमान भी हैं जो किसी को भी अपने सींगों पर उठाकर पटक सकते हैं। जिसको आप पटकते हैं, यदि उसने कुछ अच्छे कर्म किए होते हैं तो बच जाता है, नहीं तो आपकी शिकायत करने के लिए हमेशा-हमेशा के लिए महाकाल के पास चला जाता है। (...और पढें)
हे सांड़ देवता, आपको गोशालाओं में रखने से अफसर भी घबराते हैं। घबराएं भी क्यों नहीं, गोशालाओं में रहने के दौरान कहीं आपकी नीयत में खोट आ गया तो क्या होगा, आप तो भूचाल मचा देंगे। तो क्यों न आपको सड़कों और खेतों के लिए ही छोड़ दिया जाए। साल में दो-चार लोगों को आप अपना शिकार बनाकर 'प्रभु की शरण' में भेज भी देंगे तो क्या, कौन सा आप पर मुकदमा लिखने का झंझट पुलिस को झेलना है। जाने वाला चला जाएगा, और आप थाने के सामने सिर उठाकर फुंफकार मारते रहना। मजाल किसी की जो आपको पकड़ ले। जब आपने पिछले दिनों अपने ही घर में घुस रहे उन पशुप्रेमी को नहीं छोड़ा जो दिन रात आप जैसे पशुओं की सेवा में लगे रहते हैं, तो औरों की तो औकात ही क्या।
पर... हे गौमाता, हे सांड़ देवता, कल यानी मंगलवार दो अप्रैल को इन सरकारी नुमाइंदो की इज्जत और नौकरी दोनों बचा लेना। बाबा आ रहे हैं। वैसे तो उनकी नजर, आप पर नहीं पड़ने वाली, क्योंकि भले ही आप साल भर सड़कों पर घूमते रहें, लेकिन दो दिनों से आपको पकड़-पकड़कर बंद किया ही जा रहा है। 'बाबा' जिस रास्ते से आएंगे, उस ओर तो आपकी एंट्री बंद कर ही दी जाएगी, और सरकारी नुमाइंदो को भी मालूम है कि 'बाबा' शहर में पैदल तो घूमने वाले नहीं जो उन्हें जगह - जगह पर आपके दर्शन हो जाएंगे। (...और पढें)
और हां....जनता जनार्दन आप भी कान खोलकर सुन लो! ये गोमाता और सांड़ देवता यूं ही सड़कों पर विचरण करते हुए पाॅलिथीन खाते रहेंगे, खेत उजाड़ते रहेंगे, लोगों को सींग मारते रहेंगे, जान लेते रहेंगे....तुमसे जो कर मिले कर लेना।
...अंत में
" बोलो-गोमाता की जय, बोलो सांड़ महाराज की जय, बोलो सरकारी सिस्टम की जय! "