तो चुनाव जिताएगा मोदी का 'नाम' ?...उम्मीदवार कौन होगा, इससे क्या काम

तो चुनाव जिताएगा मोदी का 'नाम' ?...उम्मीदवार कौन होगा, इससे क्या काम

सब की बात न्यूज। जिले के नेताओं की हालत किसी से छिपी नहीं है। नेता तो यहां बड़े बड़े हुए लेकिन काम धेले भर का नहीं हुआ। जिला आज भी विकास के लिए तरस रहा है। जनता भी हर बार सोचती रह जाती है कि चुनाव से पहले हर उम्मीदवार की जुबां पर रखा 'विकास' चुनाव के बाद आखिर जाता कहां है। 

खैर.....विकास हो या न हो, मोदी हैं न। जिले के नेताओं के लिए बस यही काफी है। मोदी के नाम का सहारा लेकर जीत के प्रति आश्वस्त तो रहते ही हैं तो मेहनत बस टिकट पाने को करनी है। उसमें पूरी जान लगा देनी है, बाकी जीत गए तो जनता को हर बार की तरह ठेंगा ही मिलेगा, सब जानते हैं। नेताओं की अब ये सोच बन गई है कि चुनाव जीतने के लिए मोदी का नाम ही काफी है। उम्मीदवार कोई भी हो, लेकिन मोदी का नाम ही चुनाव जिता देगा। हांलाकि ये सोच इस बार कितनी सटीक बैठती है, इसका फैसला तो नतीजों के बाद ही होगा। 

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सपा से नाम क्लीयर, भाजपा और बसपा के नहीं खुले पत्ते

बदायूं। संगठनात्मक दृष्टि से देखें तो भाजपा का संगठन काफी मजबूत है। यहां बूथ से लेकर पन्ना प्रमुख तक की जिम्मेदारी तय है। भाजपा के नेता यह मानते भी हैं कि तैयारी पूरी है, बस उम्मीदवार का नाम चिपकाना है। ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि भाजपा के नेता भी मानते हैं कि चुनाव उम्मीदवार के नाम या काम पर नहीं मोदी के नाम पर जीता जा सकता है। यही कारण है कि अभी तक किसी के नाम की घोषणा नहीं की गई है। जनता को भी बड़ी बेसब्री से भाजपा के उम्मीदवार के नाम का इंतजार है। सपा से शिवपाल का नाम तय हो ही गया है। भाजपा का नाम सामने आते ही बसपा भी किसी न किसी बागी पर निशाना लगा ही देगी। 

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तो क्या केशव हो सकते हैं उम्मीदवार

बदायूं। भाजपा से वैसे तो संघमित्रा मौर्य, जितेंद्र यादव, पूनम यादव, बागीश पाठक, राजेश यादव, सिनोद शाक्य आदि के नामों की चर्चा उम्मीदवारी के लिए चल रही है लेकिन कुछ  राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यहां से केशव प्रसाद मौर्य चुनाव लड़ सकते हैं। इसके पीछे कुछ लोगों का कहना है कि पिछले दिनों बिल्सी आए केशव प्रसाद मौर्य का हवाई अड्डा बनवाने का बयान बहुत वायरल हुआ था। यह बयान उन्होंने रोडवेज बस अड्डे की स्थापना के सवाल पर दिया था। अब बिल्सी में रोडवेज के लिए धनराशि मिल गई है तो लोग अपने कयास लगा रहे हैं। अब यह कयास कितने सच्चे होंगे, इसका पता कुछ ही दिनों में चल ही जाएगा। 

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  • user by Sunil kumar

    Bdn ke neta harami hain

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  • user by अनिकेत साहू

    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

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  • user by संजीव कुमार

    भाजपा में ऐसे ही भरे हैं।

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