सोत नदी किनारे एसएस लॉन पर फिर शुरू हुआ निर्माण...वैध या अवैध ?

सोत नदी किनारे एसएस लॉन पर फिर शुरू हुआ निर्माण...वैध या अवैध ?

बदायूं। करीब पांच साल पहले ध्वस्त किए गए लालपुल स्थित एसएस लॉन पर फिर से निर्माण कार्य शुरू हो गया है। सोत नदी के फाट पर कब्जा कर बनाए कए इस लॉन पर निर्माण शुरू होने से प्रशासन की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लग रहा है। लॉन मालिक इसे कोर्ट के आदेश से विनियमित क्षेत्र की स्वीकृति मिलने के बाद निर्माण कार्य शुरू करना बता रहे हैं। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि जिस निर्माण को प्रशासन ने तमाम नियम कानून गिनाकर उसे अवैध बताकर ढहा दिया था वह अब वैध कैसे हो गया। (देखें वीडियो) -

सोत नदी के किनारे हो चुके कब्जे, नदी पर भी कब्जे

बदायूं। कभी कल-कल बहने वाली सोत नदी अब मृतप्रायः हो चुकी है। कहीं इसमें कीचड़ नजर आती है तो कहीं इस पर कब्जा करके खेती की जा रही है। नदी के पुनर्जीवन के लिए चिल्लाने वाले समाजसेवी और संस्थाएं केवल गोष्ठियों और कार्यकमों में इसे जीवन दे रहे हैं। साल 2019 में तत्कालीन डीएम दिनेश कुमार सिंह के समय में सोत नदी के किनारे अतिक्रमण हटाने का काम शुरू हुआ था। इसी क्रम में एसएस लॉन को पूरा ढहा दिया गया था।

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अधिकारियों पर लगे थे आरोप

बदायूं। लॉन ढहाने के दौरान महिलाओं ने एक अधिकारी पर मैरिज लॉन में होने वाले कार्यक्रमों में प्रति कार्यक्रम 10 हजार लेने का आरोप भी लगाया था। लॉन सोत नदी के बिल्कुल किनारे नियम विरुद्ध बनवाया गया था, जिसमें संबंधित विभागों के अधिकारियों कर्मचारियों की मिलीभगत भी उजागर हुई थी। बताते हैं कि इसके संचालक ने वर्षों पहले यहां बीज भंडार के नाम से दुकान खोली थी लेकिन बाद में वहां पर अतिक्रमण करके आसपास की जमीन पर कब्जा कर लिया गया। यह कब्जे सपा सरकार के दौरान हुए थे। बताते हैं कि लॉन मालिक सपा के कुछ नेताओं का खास था, जिसके बाद उसे अतिक्रमण करने की छूट दे दी गई थी। तब प्रशासनिक मशीनरी ने भी उस पर हाथ डालना मुनासिब नहीं समझती थी। भाजपा की सरकार बनने के बाद अतिक्रमणकारियों पर बुल्डोजर चलना शुरू हुए तो अब वह भी उसकी जद से नहीं बच सका। प्रशासन की मानें तो वहां पर बीज भंडार के पीछे मैरिज लॉन बना लिया गया, जिसमें शादी आदि कार्यक्रम कर बुकिंग की जाती थी।

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संचालक बोले-अनुमति से करा रहे निर्माण

बदायूं। लॉन के निर्माण के संबंध में जब इसके संचालक दानिश से बात की गई तो उन्होंने कहा कि निर्माण की अनुमति विनियमित क्षेत्र से कोर्ट के आदेश के बाद ली गई है। हालांकि सवाल ये है कि नदी के किनारों पर एक निश्चित दूरी में किसी को किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं होती है तो उन्हें ये अनुमति किस आधार पर मिली है। लोगों का कहना है कि प्रशासन को इसकी जांच करानी चाहिए। 




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