हाइकोर्ट के 'हंटर' से शिक्षिका बनी गैंगस्टर, पहुंची सलाखों के पीछे

हाइकोर्ट के 'हंटर' से शिक्षिका बनी गैंगस्टर, पहुंची सलाखों के पीछे

साधना शर्मा हत्याकांड

खास बातें- 

- वादिनी विपर्णा की पैरवी लायी रंग

- अलापुर पुलिस ने तीन माह के बजाय चार साल में की चार्जशीट दाखिल

- हत्या के सिंगल केस पर लगा था गैंगस्टर

- सुप्रीम कोर्ट ने इसी गैंगस्टर के केस पर बनाई नजीर

- मुख्य अभियुक्त पीसी शर्मा की पत्नी है कमलेश

- प्राइमरी स्कूल ढकिया सलारपुर में है कमलेश टीचर

- उझानी पुलिस नहीं कर रही थी गिरफ्तार

बदायूं। 23 मई 2016 को बदायूं की डीजीसी क्रिमिनल साधना शर्मा की हत्या के मुकदमे में मुख्य आरोपी पीसी शर्मा सहित उसकी पत्नी कमलेश शर्मा, उसके साले गिरीश मिश्रा, मृतका साधना शर्मा की बहन श्रद्धा गुप्ता, बहनोई श्रवण गुप्ता, सुपारी किलर मस्ताना उर्फ अब्दुल नबी, पिंटू उर्फ नरेंद्र, यासीन उर्फ बाबा, राजू उर्फ रियाज, इशरत तथा मोहब्बत उर्फ साजिद के नाम विवेचना में प्रकाश में आए थे।

हत्या के इस मुकदमे पर गैंगस्टर का मुकदमा 2017 में कायम हुआ था जिसमें पहले आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट आई थी। बाद में वादिनी विपर्णा गौड़ की प्रबल पैरवी और उनके द्वारा उच्च न्यायालय में रिट के बाद तीन बचे हुए मुल्जिमान श्रद्धा गुप्ता, श्रवण गुप्ता तथा मुख्य मुल्जिम पीसी शर्मा की पत्नी मुल्जिमा कमलेश शर्मा के खिलाफ भी पूरक गैंग चार्ट 2019 में बना था।

इस मुकदमे की अभियुक्ता श्रद्धा गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट तक में इस गैंगस्टर की एफआईआर निरस्त कराने की याचिका डाली थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका को निरस्त करते हुए इस मामले में नज़ीर बनाई थी जिसके अनुसार एक मुकदमे पर भी गैंगस्टर का मुकदमा कायम किया जा सकता है तथा पूरक गैंग चार्ट भी बनाया जा सकता है।

इसी मुकदमे की मुल्जिम कमलेश शर्मा जो मुख्य अभियुक्त पीसी शर्मा की पत्नी हैं, वह भी उच्च न्यायालय में गैंगेस्टर की एफआईआर निरस्त कराने गयी थी, जिसमे हाईकोर्ट ने विवेचकों को तीन महीने में गैंगेस्टर की विवेचना पूर्ण करने के आदेश आठ अप्रैल 2020 को दिए थे, लेकिन गैंगस्टर के मुकदमे में अलापुर थाने के विवेचको द्वारा हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद तीन माह के बजाय पूरे तीन साल सात महीने में गैंगेस्टर की चार्जशीट दाखिल की गई। 

इसी गैंगेस्टर की चार्जशीट को निरस्त कराने के लिए अभियुक्त कमलेश शर्मा ने उच्च न्यायालय में याचिका योजित की, जिसमें उच्च न्यायालय में वादिनी विपर्णा गौड़ द्वारा प्रबल विरोध करते हुए स्वयं बहस की गई। दोनों पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत कुमार ने कमलेश शर्मा की याचिका खारिज कर दी।

इतना ही नहीं जस्टिस प्रशांत कुमार ने विपर्णा गौड़ के इस तर्क पर कि पुलिस जानबूझकर कमलेश को गिरफ्तार नहीं कर रही है, एसएसपी बदायूं को आदेशित किया है कि कमलेश शर्मा स्कूल में पढ़ाती है, उसके चार माह से गैर जमानती वारंट जारी हैं। अतः एसएसपी बदायूं गैंगेस्टर कोर्ट में अगली नियत तिथि 17 मई तक उसकी गिरफ्तारी सुनिश्चित करें।

कमलेश शर्मा ने आठ मई को स्पेशल जज गैेंगस्टर पूनम सिंघल की कोर्ट में सरेंडर किया जिस्का वारंट अदालत ने बनाकर कमलेश को जिला जेल बदायूं भेज दिया। अब कमलेश के जमानत प्रार्थना पत्र पर 14 मई को सुनवाई नियत है।

अलापुर पुलिस ने हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए व शुरू से ही गैंगस्टर मुल्जिमानों का सहयोग करते हुए तीन माह की बजाय चार साल में चार्जशीट दाखिल की है और अब चार माह से वारंट होने पर भी गिरफ्तारी भी नहीं की इस प्रकार अलापुर और उझानी पुलिस ने धारा 3 (2) गैंगेस्टर एक्ट के अंतर्गत अपराध किया है, जिसके संबंध में प्रार्थना पत्र एसएसपी बदायूं को दिया है। हाईकोर्ट के आदेश से अब कमलेश सलाखों के पीछे जा पाई हैं।


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