बदायूं। गीतकार डॉ. उर्मिलेश की 19 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित संगीत संध्या में कलाकारों ने संगीत और सुरों से डॉ. उर्मिलेश के लिखे गीतों को प्रस्तुत कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
डॉ. उर्मिलेश जनचेतना समिति द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी बदायूं क्लब में डॉ. उर्मिलेश की 19 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर संगीत संध्या का आयोजन किया गया। गायकों द्वारा डॉ. उर्मिलेश के प्रसिद्ध गीत, गज़ल आदि संगीत के साथ प्रस्तुत किये गए। देर रात्रि तक चले कार्यक्रम में श्रोताओं ने संगीत संध्या का आनंद लिया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वंयमसेवक संघ के विभाग प्रचारक विशाल और डीडीओ श्वेतांग पाण्डेय ने भी डॉ. उर्मिलेश को श्रद्धांजलि दी। डॉ. सोनरूपा विशाल ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। समस्त अतिथियों का सम्मान सदस्यों द्वारा माला पहनाकर एवं प्रतीक चिन्ह देकर किया गया।
उज्जवल वशिष्ठ ने तू इन बूढे़ दरख़्तों की हवायें साथ रख लेना एवं ये सच है कि हम थोड़ा कम बोलते हैं, प्रस्तुत की। गायक उस्मान साहिल ने तीर थी आंख थी निशाना था एवं जिनकी कुर्बानी वतन की आरती से कम नहीं प्रस्तुत की। कृपा दयाल ने सूना-सूना है सावन तुम्हारे बिना एवं गायक प्रतोष शर्मा ने फैसला वो भी ग़लत था एवं स्वतंत्रता बनी रहे गाकर समां बांध दिया। डॉ. अक्षत अशेष ने उनकी ग़ज़ल बेवजह दिल पे कोई बोझ न भारी रखिए प्रस्तुत की। सुधीर निर्झर ने इस तरह रोने से ग़म और घनेरा होगा गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
श्यामजी शर्मा ने डॉ. उर्मिलेश के पोलियो जागरण गीत कामना है फूलों में नयी उमंग हो प्रस्तुत किया। अन्त में अक्षत अशेष ने सभी कलाकारों के साथ संयुक्त रूप से उनकी प्रसिद्ध रचना गायेंगे गायेंगे हम वंदेमातरम प्रस्तुत कर कार्यक्रम का समापन किया। इस अवसर पर समिति के संरक्षक श्यामजी शर्मा, अध्यक्ष मंजुल शंखधार, सदस्य रजनीश गुप्ता, सतीश चन्द्र मिश्रा, डॉ. रामबहादुर व्यथित, डॉ. सुवेन्द्र माहेश्वरी, रिचा अशेष, प्रदीप शर्मा, राजन मेहंदीरत्ता, नरेश चन्द्र शंखधार, रविंद्र मोहन सक्सेना, दीपक सक्सेना, प्रशांत कोहली आदि उपस्थित रहे। मंजीत खन्ना एवं ग्रुप की ओर से वाद्ययंत्रों पर संगत दी गयी। अंत में समिति की ओर से सभी कलाकारों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन डॉ. अक्षत अशेष ने किया।