'नाग' और 'सांप' को तो नहीं कुतर पाया 'नेवला',  पर बेटी को....

'नाग' और 'सांप' को तो नहीं कुतर पाया 'नेवला', पर बेटी को....

बदायूं। बदायूं से टिकट कटने के बाद चर्चा थी कि सांसद संघमित्रा मौर्य को मैनपुरी से टिकट दिया जा सकता है लेकिन बुधवार को भाजपा की दसवीं सूची में जयवीर सिंह ठाकुर को मैनपुरी का प्रत्याशी घोषित करने के बाद इस चर्चा पर भी विराम लग गया है। हालांकि संघमित्रा मौर्य भाजपा प्रत्याशी दुर्विजय शाक्य को भाई बताते हुए उनके चुनाव प्रचार में लगी  हैं लेकिन अब तक पार्टी के प्रति यह वफादारी दर्शाना, कहीं टिकट की आस में तो नहीं था, यह बड़ा सवाल है। 

टिकट मिलने की आस अब खत्म हो गई है तो अब आने वाले दिनों में संघमित्रा क्या कदम उठाएंगी, भाजपा के साथ रहेंगी या पाला बदलकर पिता के साथ जाएंगी। ऐसे तमाम सवाल लोगों के जेहन में उठ रहे हैं। इधर, खुद को संघमित्रा का पति बताने वाले दीपक केएस ने भाजपा की लिस्ट आते ही अपने एक्स हैंडल पर संघमित्रा को जीव-जंतु के परिवार की सदस्य बताते हुए तंज कस डाला।

(नीचे देखिये, क्या लिखा दीपक ने) -

इसके बाद नीचे और पढ़ें-


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खुद को 'नेवला' बताया था स्वामी प्रसाद मौर्य ने

बदायूं। दीपक ने संघमित्रा मौर्य को जीव जंतु के परिवार की सदस्य यूं हीं नहीं लिखा। दरअसल, कभी संघमित्रा के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य ने खुद को 'नेवला' बताते हुए आरएसएस को 'नाग' और भाजपा को 'सांप' की संज्ञा दे डाली थी। उन्होंने कहा था कि स्वामी रूपी नेवला उन्हें कुतर-कुतर कर ऐसा काटेगा कि उन्हें छठी का दूध याद दिला देगा 

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...तो क्या 'दीपक' बुझाने की कोशिश में खुद के जले हाथ ?

बदायूं। पिछले दिनों जब संघमित्रा मौर्य को मैनपुरी से भाजपा प्रत्याशी बनाने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में आम हुई तो खुद को उनका पति बताने वाले दीपक केएस ने घोषणा कर दी थी कि यदि संघमित्रा को टिकट मिला तो वह उनके सामने चुनाव के मैदान में होंगे। सूत्रों के अनुसार, दीपक ने इस संबंध में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी वार्ता की थी। सूत्र बताते हैं कि इस प्रकरण के बाद ही भाजपा हाईकमान ने मैनपुरी से संघमित्रा मौर्य को टिकट नहीं दिया। माना जा रहा है कि यदि ऐसा होता तो उनका पर्चा खारिज होने की पूरी संभावना थी, क्योंकि नामांकन पत्र दाखिल करते समय वैवाहिक स्थिति को लिखना ही पड़ता। 

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ऐसे बनते और बिगड़ते रहे हालात

- 2019 में भाजपा के टिकट पर बदायूं से सांसद बनी संघमित्रा मौर्या अपने बसपाई पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ बसपा के टिकट पर एटा की अलीगंज (2012) सीट और मैनपुरी (2014) की लोकसभा सीट पर चुनाव हार चुकी हैं। 

- 2019 में बदायूं लोकसभा सीट पर भाजपा सरकार में मंत्री रहे पिता स्वामी प्रसाद की तिकड़म और पार्टी की रणनीति के साथ इंटरनल कमान संभाले दीपक कुमार स्वर्णकार ही संघमित्रा के चुनावी रथ के सारथी थे। (इसके बाद नीचे और पढ़ें) -


- दीपक के अनुसार, वर्ष 2016 से 2019 तक दोनों लिव इन में रहे। 2019 में बौद्ध रीति रिवाज से दोनों का विवाह हुआ। जनवरी 2021 में विवाह सार्वजनिक करने को लेकर संघमित्रा ने दीपक से किनारा करना शुरू कर दिया।

- आरोप है कि मई 2021 में संघमित्रा मौर्य ने गंभीर रूप से कोरोना ग्रस्त दीपक के साथ गाली गलौच करके घर से निकाल दिया और फर्जी मुकदमा लिखाकर शादी के सुबूत मिटाने के लिए उनके दोनों मोबाइल को पुलिस से जब्त करा दिया। इसके बाद उन पर जानलेवा हमला करवाने का भी आरोप दीपक ने लगाया था। 

- इसके बाद लखनऊ निवासी दीपक ने हाईकोर्ट सहित एमपी एमएलए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। स्वामी प्रसाद ने 2022 में भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गये।

- 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सांसद अपने सपा प्रत्याशी पिता को जिताने कुशीनगर पहुंच गई। यहां स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ संघमित्रा मौर्य की जबरदस्त भिड़ंत भी हुई। स्थानीय लोगों ने स्वामी प्रसाद और संघमित्रा के गाडी पर पथराव कर दिया था। 

- 2023 में कोर्ट ने दीपक कुमार स्वर्णकार की अपील पर सुनवाई करते हुए स्वामी प्रसाद और संघमित्रा सहित अन्य तीन को आरोपी मानते हुए कोर्ट में पेश होने को कहा।

- 2024 में मौर्य परिवार को तीन बार समन और दो बात जमानती वारंट करते हुए कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया गया। 

- हाल ही में अदालत में पेश नहीं होने के कारण सभी आरोपियों को कोर्ट द्वारा गैर जमानती वारंट जारी किया गया। इसी बीच स्वामी प्रसाद ने अपनी राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी बना डाली। 

- कुछ दिन पहले बदायूं में मुख्यमंत्री योगी के आगमन पर सांसद मंच पर रोने लगी तो स्वामी प्रसाद ने कह डाला कि संघमित्रा को उन्हें अपनी बेटी कहने पर शर्म आती है।

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कुछ लोगों के अनुसार, पिता ही जिम्मेदार बेटी की हालत के

बदायूं। राजनीति के कुछ जानकारों और स्थानीय भाजपा नेताओं की मानें तो संघमित्रा की आज इस हालत के जिम्मेदार खुद उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य हैं। सत्ता देखकर पार्टी बदलने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की समय-समय पर की गई अनर्गल बयानबाजी और भाजपा से दुश्मनी ही संघमित्रा पर भारी पड़ती गई। हालांकि कुछ के अनुसार, इतने सब के बाद भी पिता का ही पक्ष लेना भी संघमित्रा के राजनीतिक सफर में कांटे बोता रहा। अब, आगे उनका कदम क्या होगा, इसे जानने के लिए भी लोग बेचैन हैं। 

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  • user by Sunil kumar

    Bdn ke neta harami hain

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  • user by अनिकेत साहू

    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

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  • user by संजीव कुमार

    भाजपा में ऐसे ही भरे हैं।

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