जैसे-जैसे यहां रात गहराती है...दारू के क्वार्टर की कीमत 'दोगुनी' हो जाती है
दिन में 10 रुपये ओवररेट बिकने वाला देशी दारू का पौवा रात में 150 तक का बिकता है
शराब की ओवररेटिंग में सेल्समैन को मोहरा बनाकर होता है खेल, आबकारी विभाग की आंखें रहती हैं बंद
कुंवरगांव में सेल्समैन की हत्या का कारण ही परिवार वालों ने बताया था सिंडीकेट द्वारा की जा रही ओवररेटिंग
सबकी बात न्यूज
बदायूं। शराब की ओवररेटिंग थमने का नाम नहीं ले रही है। हालत ये है कि दिन में 10 रुपये ओवररेट बिकने वाला 180 एमएल का क्वार्टर रात 10 बजे के बाद सौ से 110 और रात 12 बजे के करीब 150 रुपये तक का बेचा जाता है। पिछले दिनों विनावर क्षेत्र की एक दुकान पर ओवररेटिंग का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें सेल्समैन खुलकर ओवररेटिंग की बात स्वीकार कर रहा था। इतने पर भी आबकारी विभाग की आंखें बंद हैं।
जिले में सिंडीकेट की करीब 150 दुकानें हैं। ओवररेटिंग की बात करें तो सबसे ज्यादा ओवररेटिंग इन्हीं दुकानों पर की जाती है। सूत्रों की मानें तो देहात क्षेत्रों में देशी शराब की दुकानों पर सबसे ज्यादा ओवररेटिंग होती है। दिन में ही यहां 75 रुपये वाला क्वार्टर 85 से 90 रुपये तक का बेचा जाता है पर, असली खेल रात 10 बजे के बाद शुरू होता है, जब दुकानें बंद हो जाती हैं।
रात 10 बजे के बाद 85 रुपये में बेचा जाने वाला यही ट्रेटा पैक सौ रुपये से 110 रुपये का बेचा जाता है। यदि कोई 11 बजे के बाद इसे खरीदने आता है तो यही रेट बढ़कर 150 रुपये तक हो जाता है। चोरी छिपे शराब बिकने की बात से आबकारी विभाग अनजान हो, यह संभव नहीं है, लेकिन फिर भी यह सब कुछ चल रहा है।
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कई जगहों पर ग्रामीण बेचते हैं शराब
बदायूं। देहात क्षेत्रों में कई दुकानें ऐसी भी हैं, जहां सेल्समैन ने कुछ ग्रामीणों को अपना सेल्समैन बना रखा है। यानी ये सेल्समैन कुछ चुने हुए ग्रामीणों के पास शराब की पेटियां रखवा देते हैं, जिन्हें रात में ये ग्रामीण दोगुने दामों तक बेचते हैं। अगले दिन दुकान के सेल्समैन उनसे रात का हिसाब कर लेते हैं। ऐसे में चंद पैसों के लिए कुछ लोग भी इस ओवरेटिंग और रात में दारू बिक्री का काम कर रहे हैं।
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नामजदों के नाम विवेचना में शामिल होने के बाद पलट सकता है मामला
बदायूं। विगत 13 मई को कुंवरगांव क्षेत्र के गांव दुगरैया में देशी शराब की दुकान के सेल्समैन मुकेश यादव की हत्या का कारण भी उसके परिवार वालों ने ओवरेटिंग और शराब की दुकान सिंडीकेट को न देना ही कारण बताया था। परिवार वालों ने आहूजा ग्रुप के एमडी और ब्लूमिंगडेल स्कूल के निदेशक ज्योति मेहंदीरत्ता व उनके मैनेजर पंकज खुराना को नामजद कराया था लेकिन पुलिस ने लूट के कारण हत्या बताकर और चार बदमाशों को पकड़कर घटना का खुलासा कर दिया था। इसके बाद दोनों नामजदों को क्लीनचिट दे दी गई थी लेकिन मुकेश के परिवार वालों के आंदोलनरत रहने और मुख्यमंत्री तक शिकायत करने के कारण पुलिस को विवेचना क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर करनी पड़ी। क्राइम ब्रांच ने पिछले दिनों दोनों नामजदों के नाम फिर से शामिल करके विवेचना शुरू की है। ऐसे में मामला फिर पलट सकता है।
फोटो सौजन्य-एआई
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