
काश...मिल जाए बेटा, यही सोचकर भगवान के आगे जोड़ते रहे हाथ, पर तीसरे दिन मिली लाश
तीन दिन पहले मथुरा निवासी मयंक और गर्व डूब गए थे गंगा में, गर्व को बचा लिया गया था, लेकिन मयंक हो गया था लापता
बदायूं। तीन दिन पहले कछला गंगा में हुए हादसे के बाद सोमवार को एसडीआरएफ ने आखिरकार मयंक को ढूंढ ही निकाला लेकिन जब वह गंगा से बाहर आया तो लाश के रूप में परिवार वालों के सामने था। इन तीन दिनों में परिवार वालों की नींद तक उड़ गई थी। दिन रात वे पागलों की तरह घाट के चक्कर लगाते रहे, लेकिन अंत में उन्हें अपने इकलौते बेटे की लाश ही देखने को मिली।
तीन दिन पहले कछला गंगा में स्नान करते समय मथुरा जिले के छटीकरा निवासी 18 वर्षीय गर्व और मयंक डूब गए थे। गर्व को तो गोताखोरों ने उसी दिन निकालकर बचा लिया था लेकिन मंयक लापता हो गया था। तब से एसडीआरएफ मयंक को खोज रही थी। सोमवार को मयंक का शव गंगा घाट से करीब पांच किमी दूर टीम को मिल गया।
तीन दिनों तक मयंक के परिजन उसका पागलों की तरह ये सोचकर इंतजार करते रहे कि किसी भी दशा में वह जीवित मिल जाए। इस दौरान उन्हें रातों में नींद तक नहीं आई। मयंक के पिता इंद्रभान की हालांकि दो संताने हैं लेकिन मयंक उनका इकलौता बेटा था। उसके एक बड़ी बहन तान्या है।
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- नहाते समय गंगा में मथुरा के दो युवक डूबे, एक को बचाया, दूसरा लापता
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