संडे स्टोरीः निशानेबाजी में अवनि ने पाया सफलता का शिखर...मार्गदर्शक बने बदायूं के चंद्रशेखर
खास बातें-
- पैरालंपिक 2020 में स्वर्ण और कांस्य पदक पाकर भारत का नाम रोशन कर चुकी अवनि
- साल 2017 से अवनि के कोच हैं बदायूं के मूल निवासी चंद्रशेखर
- अब एक बार फिर स्वर्ण के लिए होगा अवनि का निशाना
- 28 से पेरिस में शुरू हो रहे पैरालंपिक गेम्स
बदायूं। कहते हैं कि हर चमकते आभूषण के पीछे एक काबिल स्वर्णकार का हाथ होता है। स्वर्णकार ही होता है जो आभूषण को खूबसूरत आकार देकर उसे निखारता है। देश को दुनिया के फलक पर चमकाने वाले एक ऐसे ही आभूषण का नाम है 2020 के पैरालंपिक में एतिहासिक प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक हासिल करने वाली निशानेबाज अवनि लेखरा का, जिन्होंने देश का नाम दुनिया में रोशन करके दिखा दिया है कि हौसला, जज्बा और जुनून हो शारीरिक मुश्किलें कभी बाधा नहीं बनतीं। इन्हीं अवनी लेखरा जैसे देश के आभूषण को चमकाने का काम किया है उनके पर्सनल कोच चंद्रशेखर ने। अब, जब अवनि एक बार फिर पेरिस में होने वाले पैरालंपिक गेम्स में भाग लेने के लिए रवाना हो चुकी हैं तो बदायूं का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है।
दरअसल, निशानेबाजी के कोच चंद्रशेखर बदायूं के मोहल्ला टिकटगंज के मूल निवासी हैं। दातागंज तहसील का अंधरउ गांव उनका पैतृक गांव है। अवनि की प्रतिभा को पहचानकर उसे विश्व के फलक तक पहुंचाने में चंद्रशेखर का महत्वपूर्ण योगदान है।
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मुश्किल था सफर, चंद्रशेखर ने राह बनाई आसान
बदायूं। केवल 11 साल की आयु में ही अवनि की रीढ़ की हड्डी में फ्रेक्चर हो जाने के कारण उनके शरीर का निचला हिस्सा लगभग बेकार हो गया था। ऐसे में उनका सफर आसान नहीं था। शारीरिक अपंगता के कारण अवनि मानसिक रूप से भी कमजोर हो गई थीं लेकिन उनके हौसले को चंद्रशेखर ने उड़ान दी। साल 2017 में
वह अवनि के पर्सनल कोच बने और अपनी पूरी शक्ति अवनि की खेल प्रतिभा को निखारने में लगा दी। उन्होंने न केवल अवनि का आत्मविश्वास बढ़ाया बल्कि निशानेबाजी की पूरी ट्रेनिंग भी दी। इसके बाद धीरे-धीरे अवनि की प्रतिभा निखरती गई।
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2020 में हासिल किया गोल्ड और कांस्य पदक
बदायूं। ये चंद्रशेखर की मेहनत और अवनि के हौसले का ही नतीजा था कि 2020 में टोक्यो जापान में हुए पैरालंपिक में अवनि ने 10 मीटर रायफल प्रतिस्पर्धा में गोल्ड तथा 50 मीटर रायफल-थ्री पी (थ्री पोजिशन) में कांस्य पदक पर कब्जा जमाया।
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1991 में जयपुर शिफ्ट हो गए थे चंद्रशेखर
बदायूं। अंधरउ गांव के मूल निवासी चंद्रशेखर वर्ष 1991 में जयपुर शिफ्ट हो गए थे। वर्तमान में वह वहां मानसरोवर इलाके में रहते हैं। उनके पिता स्व. महेंद्र कुमार सक्सेना पेशे से अधिवक्ता थे और लोकतंत्र सेनानी रहे थे। फिलहाल वह जयपुर में अपने छोटे भाई के साथ रहते हैं।
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अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच हैं चंद्रशेखर, भारतीय टीम के भी रहे हैं कोच
बदायूं। चंद्रशेखर पैरालंपिक टीम में 2018 से 2021 तक भारतीय टीम के भी रायफल कोच रहे हैं। मार्च 2021 में यूएई के अल-ऐन में हुए विश्वकप में उन्होंने भारतीय निशानेबाजल दल रायफल का भी कोच के रूप में प्रतिनिधित्व किया है। अब अवनि के पेरिस जाने के बाद उनका नाम भी सुर्खियों में है।
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शुक्रवार को सेंड ऑफ पार्टी के बाद पेरिस रवाना हुई अवनि
बदायूं। कोच चंद्रशेखर के अनुसार, बीते शुक्रवार को दिल्ली में पेरिस रवानगी से पहले स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) तथा पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया ने सेलिब्रेशन करते हुए सेंड ऑफ पार्टी का आयोजन दिल्ली में किया, जिसमें अवनि के साथ चंद्रशेखर भी शामिल रहे। इसके बाद अवनि पेरिस को रवाना हो गईं।
पैरालंपिक का आयोजन 28 अगस्त से होगा। इसमें अवनि का पहला इवेंट 30 अगस्त को होगा।