देखभाल के लिए रखी थी महिला...बेटे की नीयत में आया खोट तो जमीन पर ठोकने लगा दावेदारी

देखभाल के लिए रखी थी महिला...बेटे की नीयत में आया खोट तो जमीन पर ठोकने लगा दावेदारी

बदायूं। एक बुजुर्ग दंपती की देखभाल के लिए रखी गई महिला का बेटा अब उनका असली बेटा बनकर जमीन पर दावेदारी ठोक रहा है। आरोप है कि हल्का लेखपाल भी उसका साथ दे रहा है। बुजुर्ग की तीन बेटियों ने इस संबंध में आला अधिकारियों से शिकायत करते हुए न्याय दिलाने की मांग की है। 

सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के गांव दौरी निरोत्तमपुर निवासी स्व. जयपाल की तीन बेटियां राजकुमारी, मीरादेवी व रजनी हैं। उनका कहना है कि वे तीनों विवाहित हैं तथा अपने पिता की अकेली वारिस हैं। उनके माता-पिता की मौत पिछले साल हो गई थी। उनके पिता जयपाल के नाम गांव में 12 बीघा 10 बिस्वा जमीन है। चूंकि उनके माता-पिता काफी बुजुर्ग थे इसलिए उन्होंने अपनी देखभाल के लिए बरेली के आंवला निवासी एक महिला को अपनी देखभाल के लिए रख लिया था। इस दौरान महिला का बेटा भी उनके घर आता-जाता था। 

तीनों महिलाओं का आरोप है कि पिता जयपाल की मौत के बाद उस युवक ने फर्जी आधार कार्ड बनाकर उनकी जमीन को हथियाने की कोशिश शुरू कर दी। जब उन्हें इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने उस युवक से पूछा, जिस पर युवक ने उनसे कहा कि जमीन और मकान उसका है और उसे ही चाहिए। 

------

लेखपाल पर भी साज का आरोप

बदायूं। तीनों महिलाओं ने डीएम को पत्र भेजकर हल्का लेखपाल पर भी आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि लेखपाल की सांठगांठ से ही आरोपित युवक उनकी जमीन और मकान को हथियाना चाह रहा है। उन्होंने मांग की है कि लेखपाल को उनकी विरासत दर्ज करने का आदेश दिया जाए। 

Leave a Reply

Cancel Reply

Your email address will not be published.

Follow US

VOTE FOR CHAMPION

Top Categories

Recent Comment

  • user by Rt

    Rt

    quoto
  • user by Sunil kumar

    Bdn ke neta harami hain

    quoto
  • user by अनिकेत साहू

    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

    quoto