'उलझनों के दौर आखिर कब नहीं होंगे, याद तो होगी हमारी...'

'उलझनों के दौर आखिर कब नहीं होंगे, याद तो होगी हमारी...'

डॉ. उर्मिलेश की पुण्यतिथि पर विशेष-


बदायूं। डॉ. उर्मिलेश का जन्म छह जुलाई 1951 को उनकी ननिहाल में इस्लामनगर में हुआ। उनके पिता स्व. भूपराम शर्मा ‘भूप’ ग्राम भतरी गोवर्धनपुर में जनकवि के रूप में विख्यात थे। डॉ. उर्मिलेश नेहरू मेमोरियल शिव नारायण दास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बदायूं में हिन्दी विभाग के रीडर/अध्यक्ष पद पर रहे। डॉ. उर्मिलेश की साहित्य-साधना बहुमुखी थी।

उन्होंने अल्प अवधि में अनेक हीरक हिन्दी जगत को प्रदान किये, जिनकी आभा आज भी विद्यमान है। ‘साहित्य और समालोचना के सरल आयाम’, ‘नया सप्तकः व्याख्या और विवेचन के नए आयाम’ तथा ‘गीति सप्तकः पहचान और परख’ उनके प्रमुख समीक्षात्मक ग्रन्थ है। डॉ. उर्मिलेश द्वारा रचित काव्य ग्रन्थों की सूची काफी वृहद है। ‘सोत नदी बहती है’, ‘धुआं चीरते हुए’ (ग़ज़ल संग्रह), ‘डॉ. उर्मिलेश की ग़ज़लें’, ‘घर बुनते अक्षर’ (मुक्तक संग्रह), ‘चिरजीव हैं हम’ (गीत संग्रह), ‘वरदानों की पाण्डुलिपि’ (दोहा संग्रह), ‘बाढ़ में डूबी नदी’ (गीत संग्रह), ‘फैसला वो भी ग़लत था’ (ग़ज़ल संग्रह), ‘धूप निकलेगी’ (ग़ज़ल संग्रह), ‘जागरण की देहरी पर’ (गीत संग्रह), ‘बिम्ब कुछ उभरते हैं’ (गीत संग्रह) तथा ‘आईने आह भरते हैं’ (ग़ज़ल संग्रह) आदि उनकी प्रमुख रचनाएं हैं। 

डॉ. उर्मिलेश की काव्य-साधना विराट है। उनका चिन्तन राष्ट्रव्यापी है। वह रससिद्ध कवि और नये तेवर के यशस्वी ग़ज़लकार रहे। बदायूं क्लब के सचिव के रूप में उन्होंने जिले की सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियों को एक नया आयाम दिया। उनके द्वारा स्थापित जिले का प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव ‘बदायूँ महोत्सव’ आज प्रमुख आयोजनों में से एक है। 

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डॉ. उर्मिलेश की 19वीं पुण्यतिथि पर संगीत संध्या का आयोजन कल

बदायूं। जनपद के गौरव कवि एवं गीतकार डॉ. उर्मिलेश की 19वीं पुण्यतिथि पर डॉ. उर्मिलेश जनचेतना समिति की ओर से संगीत संध्या का आयोजन बृहस्पतिवार  शाम छह बजे बदायूं क्लब में किया जायेगा। कार्यक्रम में प्रतिभाशाली संगीत कलाकार अपने सुरों से डॉ. उर्मिलेश की लिखे गीतों एवं ग़ज़लों को संगीत के साथ प्रस्तुत कर उन्हें  याद करेंगे। समिति के सचिव एवं डॉ. उर्मिलेश के पुत्र डॉ. अक्षत अशेष ने बताया कि प्रति वर्ष की भाति इस वर्ष भी डॉ. उर्मिलेश की स्मृति में यह आयोजन किया जा रहा है। 


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    Bdn ke neta harami hain

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    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

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