चीख़ तो खूब अंधेरों की सुनी मुंसिफ ने...फैसला दे दिया सूरज की तरफदारी में

चीख़ तो खूब अंधेरों की सुनी मुंसिफ ने...फैसला दे दिया सूरज की तरफदारी में

बदायूं। मेन बाज़ार ककराला में मशहूर शायर शहरयार खां चांद ककरालवी के काव्य संग्रह ' मोम के लोग' के विमोचन के अवसर पर कुल हिंद मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें कई शायरों व कवियों ने शिरक़त की और अपने कलाम पेश किए। 

मीरगंज बरेली से तशरीफ़ लाये शायर अक़ील नोमानी ने  पढ़ा-

     चराग़ गुल थे मगर हर तरफ उजाला था 

     वो पहली बार मिरे पास आने वाला था 

मशहूर शायर  कमल हातवी ने पढ़ा 

    तुम बिना कोई बहाना भी तो आ सकता  

     वरना मै रोज़ तो बीमार नही हो सकता 

आमिर शेख ने पढ़ा 

    हम भी कहने के लिये कह दें मगर 

     कितना मुश्किल है किसी का होना 

कामिल उरोल्वि ने पढ़ा 

    पेश करते हैं जो तस्वीर को उल्टा कर के 

    कहीं रख दे न ज़माना उन्हें सीधा कर के 

आग़ाज़ साक़ी ने पढ़ा 

     चीख़ तो खूब अंधेरों की सुनी मुंसिफ ने 

      फैसला दे दिया सूरज की तरफदारी में 

अज़मत जीलानी ने पढ़ा 

      अगले दो राहे पे हम लोग बिछड़ जायेंगे 

       आओ इस मोड़ पे कुछ देर ठहर जाते हैं 

शमीम ककरालवी ने पढ़ा 

      नन्ने मुन्ने बच्चे थे तो कितना खुश रहता था बाप 

      जब से बच्चे बड़े  हुए हैं सहमा सहमा रहता है 

डाक्टर तौहीद अख़्तर पढ़ा 

      उठ तो आये हैं उनकी महफिल से 

      रह गयीं हैं मगर वहीं आँखें 

ज़ाकिर अली ज़ाकिर ने पढ़ा 

      तमाम ज़िंदगी फ़िर लौट कर नही आया 

      महाज़े इश्क की जानिब अगर गया कोई 

सोहराब ककरालवी ने पढ़ा 

      रंग उसका और मेरा एक जैसा हों गया 

      चांद की सोहबत से दरिया भी सुनेहरा हो गया 

डा. हिलाल ने पढ़ा 

      मोहब्बत कुछ नही है इक नशा है 

      जिसे होश आये वही बेवफा है 

अरशद रसूल ने पढ़ा 

      आप बेशक सारी दुनियां शौक से ले लीजिये 

      बख्श दीजेगा  फ़कत हिन्दोस्तां मेरे लिये 

इस मौके पर और भी शायर मौजूद रहे जिसमें जनाब कमल हातवी को शहरयार ककरालवी अवार्ड, खालिद नदीम बदायूंनी को पयाम ककरालवी अवॉर्ड एवं दर्द देहलवी को अब्र गुन्नौरी अवॉर्ड से नवाज़ा गया। मुशायरे की निज़ामत डा. हिलाल बदायूंनी ने की।

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  • user by Sunil kumar

    Bdn ke neta harami hain

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  • user by अनिकेत साहू

    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

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