मेडिकल स्टोर संचालक बन गया 'डॉक्टर'...चली गई महिला की जान

मेडिकल स्टोर संचालक बन गया 'डॉक्टर'...चली गई महिला की जान

बदायूं। झोलाछाप और मेडिकल स्टोर संचालक मिलकर किस तरह मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं, यह सबको पता है लेकिन जिम्मेदार मौन हैं। इसी तरह का एक मामला फैजगंज बेहटा क्षेत्र का सामने आया जब मेडिकल स्टोर संचालक ने मनमाने तरीके से महिला का इलाज शुरू कर दिया और उसे दवाएं देकर ड्रिप भी चढ़ा दीं। हालत बिगड़ने पर महिला की मौत हो गई। 

फैजगंज बेहटा थाना क्षेत्र के ओरछी चौराहे पर मेडिकल स्टोर संचालक धड़ल्ले से मरीजों का इलाज कर रहे हैं। वे न केवल मरीजों को खुद दवाएं दे देते हैं बल्कि ड्रिप आदि तक चढ़ा देते हैं। बीते दिनों क्षेत्र के एक गांव की महिला की तबीयत ख़राब हुई तो परिजन एक मेडिकल स्टोर संचालक से दवा ले आए। बताते हैं संचालक ने रात में तो दवा दे दी लेकिन सुबह महिला को अपने यहां लाने को कहा। परिजन सुबह महिला को मेडिकल स्टोर ले गए तो संचालक ने उसकी तबीयत ज्यादा खराब बताते हुए ड्रिप चढ़ा दी, साथ ही ख़ून की जांच करने को सैंपल लेकर ओरछी स्थित पैथोलॉजी लैब भेज दिया। इस दौरान संचालक महिला का इलाज भी करता रहा। 

बताया जाता है कि रिपोर्ट में कुछ नहीं निकला लेकिन दो दिन पहले महिला की हालत बिगड़ गई। इसके बाद मेडिकल स्टोर संचालक ने हाथ खड़े कर दिये। परिजन आनन फानन महिला को लेकर चंदौसी एक निजी अस्पताल में पहुंचे जहां जांच के बाद महिला को पीलिया निकला। उसकी हालत देखते हुए डॉक्टर ने उसे मुरादाबाद रेफर कर दिया, जहां इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई। 

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परिजनों ने किया हंगामा तो पैसे देकर किया मामला रफा-दफा

बदायूं। बताते हैं कि महिला की मौत के अगले दिन परिजनों ने गांव में मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ हंगामा किया तो कुछ परिचितों ने दोनों के एक ही गांव के होने के चलते पैसा ले-देकर मामला रफा-दफा करा दिया।


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  • user by Sunil kumar

    Bdn ke neta harami hain

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  • user by अनिकेत साहू

    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

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  • user by संजीव कुमार

    भाजपा में ऐसे ही भरे हैं।

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