बदायूं। मंगलवार को हज़रत किबला शाह शुजाअत अली मियां रहमतुल्लाह अलैह के सालाना 69 वें उर्स के दूसरे और आखिरी दिन की शुरुआत फज्र की नमाज के बाद क़ुरआन ख्वानी से हुई।
इसके बाद सज्जादा हज़रत अलहाज ग़ाज़ी मियां मद्दाज़िल्लाहुल आली की सरपरस्ती में सुबह आठ बजे एक शानदार रुहानी महफ़िल सजायी गई, जिसका आगाज़ तिलावते कलामे पाक से किया गया। इसमें हज़रत मौलाना सूफ़ी रिफ़ाक़त सकलैनी नईमी ने अपने खिताब में साहिबे उर्स हज़रत शाह शुजाअत अली मियां की हयात ए मुबारक पर रोशनी डालते हुए फ़रमाया कि हज़रत शाह शुजाअत अली मियांरहमतुल्लाह अलैह वो वली ए कामिल हैं कि आप के वालिद हज़रत शाह मौलाना शराफ़त अली मियां हुज़ूर और आप के बेटे पीरो मुर्शिद हज़रत शाह सकलैन मियां हुज़ूर अलैहिर्रहमा दोनो अल्लाह के वली हैं।
इसके बाद अल्लामा मुफ्ती फ़हीम सक़लैनी अज़हरी ने सिलसिला ए सक़लैनिया शराफ़तिया का तआरुफ़ कराया और सिलसिले के मशाइख ए किराम के हालत व मामूलात बयान किए। हज़रत मौलाना रुम्मान सकलैनी ने अपने खिताब में ख़ानकाह शरीफ़ से किए जाने वाले खिदमते ख़ल्क़ (समाज सेवा) के कामों पर रोशनी डाली और अल्लाह वालों की बारगाह में हाज़िरी के आदाब बताए।
बीच-बीच में मौलाना क़ारी अनवार मुरादाबादी, हाफ़िज़ आमिल ककरालवी और हसीब रौनक़ सकलैनी, अंसार झाँसवी ने नातो-मनक़बत शरीफ़ के रूहानी और शानदार कलाम पेश किए। कार्यक्रम की निज़ामत जनाब मुख्तार सकलैनी तिलहरी ने की।
पूर्वाह्न 11 बजे कुल शरीफ़ की तक़रीब अदा की गई। कुल शरीफ़ की फातिहा सज्जादनशीन हज़रत ग़ाज़ी मियां ने पढ़ी। इसके बाद हाफ़िज़ ग़ुलाम ग़ौस सकलैनी, हाफ़िज़ आमिल सकलैनी, मौलाना रिफ़ाक़त सकलैनी, हाफ़िज़ अनवार वगैरह ने कुल की फ़ातिहा पढ़ उर्स की आखिरी रस्म अदा की। हज़रत शाह मोहम्मद ग़ाज़ी मियां ने आवाम को हिदायत फ़रमाते हुए कहा के इल्म हासिल करो, दीनो-शरीयत पर अहले सुन्नत के अक़ीदे और तालीमात के मुताबिक़ अपनी ज़िंदगी गुज़ारें और तमाम मुसलमान आपस में मिलजुल कर सब्र इत्तिहाद से रहें।
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उर्स में देश-विदेश से जुटे ज़ायरीन
बदायूं। उर्स मुबारक में देश-विदेश से लाखों जायरीन ने शिरकत की और साहिबे उर्स का रूहानी फ़ैज़ान हासिल कर अपनी मुरादें मांगी। उर्स की व्यवस्थायें संभालने में हजरत शाह सकलैन एकेडमी ऑफ़ इंडिया यूनिट ककराला ने अपनी अहम ज़िम्मेदारी अदा की। इनमें इंतिखाब सकलैनी (चेयरमैन), हमज़ा सकलैनी, मुनीफ सकलैनी, ग़ुलाम मुर्तज़ा, हाफ़िज़ ग़ुलाम ग़ौस, मुस्तजाब सकलैनी, हाफ़िज़ अयाज़, क़ारी मोहम्मद क़ैस, हाफ़िज़ आमिल, हाफ़िज़ सरफ़राज़, तौसीफ़ ख़ान सकलैनी,फराज सकलैनी, चाहत सकलैनी, अकबर सकलैनी, कमाल सकलैनी, असहाब सकलैनी, मुस्तफीज़ सकलैनी, मुनीर सकलैनी , इकराम सकलैनी आदि प्रमुख रहे।