सपाः पार्टी को जीत की आस...पर, कहीं भारी न पड़ जाए 'बगावत' और 'सन्यास'

सपाः पार्टी को जीत की आस...पर, कहीं भारी न पड़ जाए 'बगावत' और 'सन्यास'

अंदर की बात- 'सब की बात' के साथ

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खास बातें

- सलीम शेरवानी ने की थी सन्यास की घोषणा, फिर किया कार्यालय का उद्घाटन  

- पूर्व मंत्री आबिद ने साफ कहा था- 'बगावत बहादुर करते हैं'

- दोनों नेताओं ने सहसवान की सेक्युलर महापंचायत में सपा का खुलकर किया था विरोध

- बिसौली में तो नेतृत्व करने वाला विधायक ही नहीं

- सहसवान और गुन्नौर में भी बन रही प्रतिकूल परिस्थितियां

विस्तृत खबर-

बदायूं। राजनीति में एक कहावत है कि गिरगिट इतनी जल्दी रंग नहीं बदलता, जितनी जल्दी नेता अपनी बात और चरित्र बदलते हैं। जिले के मौजूदा सियासी हालातों की बात करें तो हर पार्टी पर यह बात फिट बैठती है। पर, हम यहां बात सपा की करेंगे। इस समय सपा यादव और मुस्लिम वोट बैंक के सहारे अपनी जीत की आस पाले बैठी है लेकिन राजनीतिक जानकारों के अनुसार, 'बगावतियों' और 'सन्यासियों' समेत अन्दर के 'विभीषण' इस आस को तोड़ने को तैयार बैठे हैं और यही भितरघात सपा की जीत की राह में सबसे बड़ा पत्थर साबित हो सकता है। (नीचे और पढ़ें)-


सपा द्वारा जब धर्मेंद्र यादव को चुनाव लड़ाने की घोषणा की गई तो कुछ स्थानीय नेताओं को यह हजम नहीं हुआ और मौजूदा विधायकों समेत कुछ अन्य लोगों ने हस्ताक्षर युक्त एक पत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सौंप दिया, जिसके बाद धर्मेंद्र को यहां से हटाकर यहां से आजमगढ़ भेज दिया गया जबकि यहां से शिवपाल सिंह यादव का टिकट कर दिया गया। उसके बाद आदित्य यादव की घोषणा हो गई। सपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यहां के कुछ नेता बदायूं को 'सैफई मुक्त' देखना चाहते हैं यानी वे अपने किसी व्यक्ति को यहां से सांसद बनवाकर सैफई परिवार का दखल बदायूं से खत्म करने की मंशा रखते हैं। ऐसे में उन्हें आदित्य यादव भी प्रत्याशी के रूप में नहीं पच रहे हैं। बताते हैं कि इन लोगों में सपा के कई बड़े नेता भी शामिल हैं जो अंदर ही अंदर आदित्य यादव का विरोध करने में लगे हैं। 

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जिन्होंने की खुलकर मुखालफत...क्या 'मन' से रहेंगे साथ ?

बदायूं। सहसवान में छह मार्च को सपा के विरोध में हुई सेक्युलर महापंचायत में पूर्व मंत्री आबिद रजा ने खुलकर बगावत का ऐलान करते हुए कहा था कि 'बगावत बहादुर करते हैं'। साइकिल अब पैडल से नहीं पेट्रोल से चल रही है। वहीं इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी ने राजनीतिक सन्यास की घोषणा कर दी थी। इसके बाद परिस्थितियां ऐसी बनी या यूं कहीं कि बनाई गईं कि जिन आबिद रजा ने खुलकर मंच पर बगावती तेवर दिखाते हुए खुद को बागी कहने से भी संकोच नहीं किया था वही अब आदित्य यादव का चुनाव लड़ा रहे हैं और सन्यास की घोषणा कर चुके सलीम शेरवानी सपा प्रत्याशी के नाहर खां सराय के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन कर चुके हैं। ऐसे में जनता के मन में सवाल है कि मुसलमानों में अच्छी पैठ रखने वाले ये नेता क्या वास्तव में मन से साथ हैं या उनकी कोई राजनीतिक मजबूरी जबरन सपा का साथ दिलवा रही है। यदि ऐसा है तो सपा को इसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा होगा। (नीचे और पढ़ें)-


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बिसौली में नेतृत्वविहीन सपा

बदायूं। बिसौली से सपा विधायक आशुतोष मौर्य के परिजनों के भाजपा में शामिल होने के बाद बिसौली में सपा नेतृत्वविहीन हो गई है। जाहिर है कि विधायक अब सपा को नहीं बल्कि भाजपा को लड़ाएंगे, जिसका नुकसान सपा को ही होना है। 

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सहसवान और गुन्नौर के सहारे जीत की आस पाले बैठी सपा

बदायूं। सपा की नजर में सहसवान और गुन्नौर दो विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां उसकी जीत निश्चित है लेकिन इस बार यह भी कठिन नजर आ रहा है। दरअसल, सहसवान में कुछ जगहों पर सपा को वह समर्थन नहीं मिल रहा जो अब तक मिलता आया है। हां, गुन्नौर में जरूर सपा कुछ मजबूत है लेकिन यदि पिछले चुनाव की बात करें तो यह अंतर केवल 9628 वोटों का रहा था जो यहां यादव वोट को देखते हुए कुछ भी नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है यदि यहां भाजपा ने ज्यादा जोर लगा दिया तो सपा को यहां भी मुश्किल खड़ी हो सकती है। 

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पिछले चुनाव परिणामों पर एक नजर-

विधानसभा
धर्मेंद्र यादव 
संघमित्रा मौर्य 
मतों का अंतर
आगे /पीछे
गुन्नौर     
106159  
96531    
9628 
सपा आगे
बिसौली    
 106485  
111686  
5201
भाजपा आगे
सहसवान    
109873   
95093  
14780
सपा आगे
बिल्सी   
79751  
 103191
23440
भाजपा आगे
बदायूं   
89691  
103842
14151
भाजपा आगे
कुल 
 492898  
51135218454
भाजपा जीती

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  • user by Sunil kumar

    Bdn ke neta harami hain

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  • user by अनिकेत साहू

    पूरा बदायूं का मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अरे बेगैरत पत्रकारों दारू खरीदकर पी लो। मुफ्त की लेकर ज्योति बाबू के खिलाफ लिख भी न पा रए तो डूब जाओ चुलू भर पानी में। अमर उजाला दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के रिपोर्टर बिकाऊ है। दारू के एक quater में बिक जाते है। पोर्टल वाले वैसे तो हगने मूतने की खबर तक चला देते है, लेकीन यहां किसी की हिम्मत नहीं हो रहे। साले बिकाऊ पत्रकार।

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  • user by संजीव कुमार

    भाजपा में ऐसे ही भरे हैं।

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