सपाः बिसौली मे खा चुकी झटके...क्या मोदी की रैली में और लगेंगे फटके ?

सपाः बिसौली मे खा चुकी झटके...क्या मोदी की रैली में और लगेंगे फटके ?

खास बातें

- बिसौली विधायक की पत्नी और बहन समेत विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष छोड़ चुके हैं पार्टी

- मोदी की होने वाली रैली में कुछ और नेताओं के भाजपा में शामिल होने की चर्चा

- यदि ऐसा हुआ तो सपा को डैमेज कंट्रोल करना होगा मुश्किल

बदायूं। सपा प्रत्याशी आदित्य यादव भले ही सहसवान और गुन्नौर की वजह से खुद की जीत सुनिश्चित माने बैठे हों लेकिन जिस तरह एक के बाद एक झटके सपा को लग रहे हैं, उससे यह मुश्किल लग रहा है। चर्चा है कि आने वाले दिनों में कुछ और नेता समाजवादी पार्टी का दामन छोड़कर कमल का फूल थाम सकते हैं। सूत्रों के अनुसार आंवला में होने वाली मोदी की रैली में सपा के कुछ और नेता भाजपा का रुख कर सकते हैं। 

बिसौली विधायक आशुतोष मौर्य की पत्नी सुषमा मौर्य और बहन पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चंद्रा के भाजपा ज्वाइन करने के बाद बिसौली विधानसभा नेतृत्वविहीन हो चुकी है। विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष मनोहर सिंह यादव ने भी भाजपा का पल्लू पकड़ लिया है। ऐसे में बिसौली में सपा को मुश्किल आ रही है। चूंकि विधायक आशुतोष मौर्य के बिल्सी विधानसभा में भी व्यक्तिगत काफी वोट हैं तो माना जा रहा है कि यह वोट भी अब भाजपा के खाते में जा सकता है। 

इधर, समाजवादी महिला मोर्चा की पूर्व जिलाध्यक्ष मधु सक्सेना भी भाजपा में शामिल हो चुकी हैं तो गुन्नौर की राजनीति में खासा दखल रखने वाले भिरावटी गांव निवासी प्रधानपति व समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश स्तर के पदाधिकारी सुनील यादव ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। सुनील का गुन्नौर विधासभा क्षेत्र में यादव विरादरी के वोटों पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में भले ही थोड़ा ही सही, लेकिन गुन्नौर भी सपा के हाथ से फिसली है। 

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आने वाले कम, जाने वाले ज्यादा

बदायूं। पूर्व विधायक हाजी विट्टन को शामिल करके सपा ने मास्टर स्ट्रोक खेलने का प्रयास किया है लेकिन यह उतना प्रभावी नहीं माना जा रहा है, जितना सपा मुगालता पाले बैठी है। इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि सपा में शामिल होने वालों की अपेक्षा सपा छोड़कर जाने वालों की संख्या ज्यादा है। पार्टी के ही कुछ सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में आवंला लोकसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी की रैली होने वाली है। इसमें भी सपा के कुछ नेता भाजपा का दामन थाम सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो सपा की मुश्किल और बढ़ जाएंगीं। 

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डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास कर रही पार्टी

बदायूं। ऐसा नहीं है कि पार्टी छोड़कर जाने वालों के प्रति सपा चिंतित नहीं है। ऐसे में डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास भी किया जा रहा है। चर्चा है कि आने वाले दिनों में भाजपा के एक पूर्व विधायक समेत जिले की राजनीति में खासा दखल रखने वाले एक पूर्व मंत्री और कद्दावर नेता सपा में शामिल हो सकते हैं। 

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